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मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना (Mukhyamantri Gramodyog Rojgar Yojana)

1. उद्देश्य

ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती बेरोजगारी का समाधान करने, ग्रामीण शिक्षितों का शहरों की ओर पलायन को हतोत्साहित करने तथा अधिक से अधिक रोजगार का अवसर गॉव में ही उपलब्ध कराने के ध्येय से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के व्यक्तिगत उद्यमियों को पूंजीगत ऋण रू० 10.00 लाख तक की वित्तीय सहायता बैंकों के माध्यम से प्रदान की जाती है। योजना के अन्तर्गत सामान्य वर्ग के लाभार्थियों हेतु पूंजीगत ऋण 4 प्रतिशत से अधिक, ब्याज की धनराशि ब्याज उपादान के रूप में उपलब्ध करायी जाती है। आरक्षित वर्ग के लाभार्थियों (अनुसूचित जाति, अनु जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, विकलांग, महिलायें एवं भूतपूर्व सैनिक) को पूंजीगत ऋण ब्याज की धनराशि ब्याज उपादान के रूप में उपलब्ध करायी जाती है। व्यवसायिक बैंको तथा ग्रामीण बैंकों द्वारा उनके सेवा क्षेत्र के अन्तर्गत सम्बन्धित गॉंव या ग्रामीण क्षेत्र स्थित हों, नियमानुसार ऋण उपलब्ध कराया जाता है। जनपदों में जिलाधिकारी के सीधे नियंत्रण में खादी तथा ग्रामोद्योग विभाग द्वारा क्रियान्वित की जायेगी।

2. योजना की अवधि

यह योजना इस अधिसूचना के जारी होने की तिथि से 5 वर्षों तक लागू रहेगी।

3. कार्यक्षेत्र

उ0प्र0 पंचायतराज अधिनियम के उपबन्धों के अधीन समय-समय पर शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्र परिभाषित तथा अखिल भारतीय खादी ग्रामोद्योग आयोग/रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा समय-समय पर परिभाषित ग्रामीण क्षेत्र।

4. पात्र उद्यमी

इस योजना के अन्तर्गत मुख्य रूप से निम्नलिखित वरीयता क्रम में उद्यमियों को लाभान्वित किया जायेगा।

  1. आई0टी0आई0 व पॉलीटेक्निक संस्थाओं से तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त बेरोजगार नवयुवकों / नवयुवतियों को योजना में प्राथमिकता दी जायेगी।
  2. शिक्षित बेरोजगार नवयुवक जिनकी सरकारी सेवा की आयु समाप्त हो गई हो।
  3. एस0जी0एस0वाई0 तथा शासन की अन्य योजनाओं के अन्तर्गत प्रशिक्षित अभ्यर्थी।
  4. परम्परागत कारीगर।
  5. स्वतः रोजगार में रूचि रखने वाली महिलाएं।
  6. व्यवसायिक शिक्षा (10+2) के अन्तर्गत ग्रामोद्योग विषय लेकर उत्तीर्ण अभ्यर्थी।
  7. इस योजना के अन्तर्गत उन अभ्यर्थियों को भी शामिल किया जा सकता है, जिन्होंने रोजगार हेतु सेवायोजन कार्यालय में अपना रजिस्ट्रेशन सम्बन्धित जिलों के सेवा योजन कार्यालय में करा रखा है। 

5. लाभार्थियों का चयन

लाभार्थियों का चयन उ0प्र0 खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड/शासन द्वारा समय-समय पर गठित चयन समिति द्वारा या जिले स्तर पर अन्य राज्य पुरोनिधानित योजना/योजनाओं हेतु जिलाधिकारी/मुख्य विकास अधिकारी/परगना अधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा चयनित उद्यमी ही इस योजना के पात्र होते हैं। प्रत्येक दशा में यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि उद्यमी को ऋण लेने से पूर्व वांछित प्रशिक्षण प्राप्त हो और उसके पास स्वयं का अंशदान उपलब्ध हो, तथा यह मूल रूप से ग्राम का निवासी हो, अथवा ग्रामीण क्षेत्र में अपना उद्योग लगाना चाहता हो।

6. लाभार्थियों के चयन के मापदण्ड

  1. लाभार्थियों की आयु 18 वर्ष से कम नही, तथा 50 वर्ष से अधिक न हो।
  2. 50 प्रतिशत तक अनुसूचित जाति/जनजाति/ पिछड़ी जाति के लाभार्थी।
  3. स्थानीय कच्चे माल की उपलब्धता का आंकलन करके चयनित व्यक्तियों के लिये ग्रामोद्योग इकाई निर्धारित की जाती है।
  4. स्थानीय उपभोक्ताओं की दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुओं के उत्पादन करने सम्बन्धी इकाईयॉं स्थापित करने में वरीयता दी जायेगी।

7. ऋण सीमा

इस योजना के अन्तर्गत सभी पात्र उद्यमियों को सावधि ऋण/कार्यशील पूंजी सम्मिलित करते हुए रु0 10.00 लाख तक के बैंक ऋण पर ब्याज उपादान देय होता है। सामान्य वर्ग के उद्यमियों द्वारा प्रोजेक्ट लागत का 10 प्रतिशत अंशदान तथा अनुसूचित जाति/जनजाति/महिला/विकलांग/ अल्पसंख्यक/भूतपूर्व सैनिक वर्ग के उद्यमियों को प्रोजेक्ट लागत का पॉंच प्रतिशत अंशदान स्वयं वहन करना होगा।

8. जमानत/अंशदान/प्रतिभूति एवं मार्जिन मनी

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशानुसार मार्जिन मनी/जमानत व प्रतिभूति की शर्त लागू होती है। जमानत की राशि रु0 10.00 लाख के ऋण हेतु भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बंधकमुक्त है।

9. पुनर्वित्त

इस योजना के अन्तर्गत सम्मिलित की गयी योजनाओं जिसमें सावधि ऋण एवं कार्यशील पूंजी दोनों मदों हेतु बैंकों द्वारा ऋण दिये जायेंगे, पर राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक व लघु उद्योग विकास बैंक द्वारा पुनर्वित्त दिया जायेगा जिसकी सूचना समय-समय पर इनके द्वारा बैंक को भी प्रेषित की जायेगी।

10. ब्याज उपादान पात्रता प्रमाण-पत्र

इस योजना के अन्तर्गत बैंक ऋण स्वीकृति पर ब्याज उपादान दिये जाने हेतु पात्रता प्रमाण पत्र जिला ग्रामोद्योग अधिकारी द्वारा जारी किया जायेगा तथा नवीनीकरण भी सम्बन्धित जिला ग्रामोद्योग अधिकारी द्वारा जारी किया जायेगा। प्रमाण पत्र का प्रारूप परिशिष्ट ‘‘क’’ पर संलग्न है।

11. ब्याज उपादान दावों का भुगतान

योजना में उ0प्र0 शासन द्वारा समय -समय पर संशोधित किया जाता है, (जिसके लिये ब्याज उपादान का प्राविधान वर्ष 1994-95 हेतु जिला योजना आवंटित कोड संख्या 2851-40100 द्वारा किया गया। संशोधित योजना यथावत लागू रहती है। कालान्तर में निर्धारित कोड संख्या के अन्तर्गत बजट का प्राविधान कर इसको स्थायित्व दिया गया। जिला योजना में उपलब्ध धनराशि सम्बन्धित खाते से आहरित कर भारतीय स्टेट बैंक की कोई भी शाखा जिले के अग्रणी बैंक की मुख्यालय पर स्थिति शाखा/योजनान्तर्गत वित्त पोषण में अधिकतम सहयोग प्रदान करने वाली बैंक शाखा में रखा जाता है, जिसमें आहरण/परिचालन का अधिकारी, सम्बन्धित जिला ग्रामोद्योग अधिकारी/प्रबन्धक (ग्रामोद्योग) को प्राविधानित किया गया है। उक्त धनराशियों में से खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा निर्धारित प्रारूप पर बैंक की शाखा द्वारा ब्याज उपादान दावा बिल जिला ग्रामोद्योग अधिकारी नियमानुसार भुगतान करते है जो सम्बन्धित बैंक शाखा को किया जाता है। भुगतान आर0टी0जी0एस0 द्वारा किया जाता है। जिला ग्रामोद्योग अधिकारी इस सम्बन्ध में पूर्ण विवरण इकाईवार/उद्योगवार एक रजिस्टर पर तैयार करते हैं जिसकी सूचना प्रत्येक माह निर्धारित रूप-पत्रों पर मुख्यालय को प्रेषित करते है जिसका अनुश्रवण मुख्यालय के ‘‘मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना’’अनुभाग द्वारा किया जाता है। इस सम्बन्ध में निम्न प्रकार की कार्यवाही की जाती है-

  1. जिला योजना के अन्तर्गत आवंटित कोड संख्या 2851-40100 के अन्तर्गत जिला ग्रामोद्योग अधिकारी जिला ऋण योजना में आवंटन/मांग की गयी बैंक ऋण राशि के दसवें हिस्से के बराबर की धनराशि की मांग प्रस्तुत करते हैं।
    नोटः- यह भी स्पष्ट करना आवश्यक है कि जिला ऋण योजना में मांग की जाने वाली धनराशि सम्बन्धित वित्तीय वर्ष में प्रस्तावित इकाईयों व गत वर्ष में कार्यरत इकाईयों की धनराशि भी शामिल की जाती है।
  2. जिला योजना में आवंटित धनराशि, सम्बन्धित जिला के मुख्य विकास अधिकारी द्वारा आहरित कर जिला ग्रामोद्योग अधिकारी/प्रबन्धक (ग्रामोद्योग) को उपलब्ध करायी जायेगी जिसे जिला ग्रामोद्योग अधिकारी मूल योजना के प्रस्तर-11 में लिखित बैंक/बैंकों में शीर्षक ‘‘मुख्य मंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना’’उपादान धनराशि वर्ष .................. अन्तर्गत खाता खोलकर जमा करायेंगे जिसकी सूचना मुख्यालय को प्रेषित करेंगे।
  3. उक्त खाता से चेक/ड्राफ्ट जिले के विभिन्न बैंकों के सम्बन्धित बैंको की शाखा द्वारा निर्धारित प्रारूप परिशिष्ट ‘ख एवं ‘ग’के अनुसार प्राप्त होने पर भुगतान हेतु चेक/ड्राफ्ट जिला ग्रामोद्योग अधिकारी जारी करेंगे तथा सभी लेन-देन का लेखा-जोखा एक रजिस्टर पर अंकित करेंगे। प्रत्येक कलेण्डर माह पर उक्त रजिस्टर का पूर्ण विवरण (बैंक खाते का मिलान) मुख्यालय के ‘‘मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना’’अनुभाग को प्रेषित किया जायेगा।

12. सम्बन्धित उद्योग

इस योजना के अन्तर्गत खादी और ग्रामोद्योग आयोग, मुम्बई, सम्प्रति, आयुक्त, खादी और ग्रामोद्योग, भारत सरकार, मुम्बई द्वारा समय-समय पर चिन्ह्ति उद्योग एवं सेवा गतिविधियों से सम्बन्धित नाबार्ड द्वारा अनुमोदित प्रोजेक्ट स्थानीय उपायुक्त के अनुरूप ग्रामोद्योग इकाईयों के प्रोजेक्ट होते है जो 10.00 लाख रु0 तक की लागत के होते है। वर्तमान में चिन्हित उद्योगों/सेवा गतिविधियों की सूची परिशिष्ट ‘घ’पर संलग्न है।

13. ऋण वितरण-ब्याज उपादान सम्बन्धी प्रक्रिया

  1. योजना के प्रस्तर 4 के अन्तर्गत वर्णित पात्र उद्यमियों के ऋण प्रार्थना-पत्र विभिन्न संस्थाओं/उद्यमियों के व्यक्तिगत सम्पर्क/विभिन्न राजकीय विभागों व स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञप्ति द्वारा समय-समय पर जिला ग्रामोद्योग अधिकारी द्वारा प्राप्त की जाती है। ऋण प्रार्थना पत्र यथा सम्भव बैंकों द्वारा निर्धारित प्रार्थना-पत्र पर लिया जाता है। यदि प्रार्थना-पत्र मिलने में असुविधा होती है तो बोर्ड द्वारा व्यक्तिगत उद्यमियों के प्रार्थना पत्र प्रयोग में लाये जाते हैं, जिनसे बाद में बैंक द्वारा निर्धारित प्रारूप पर प्रार्थना पत्र प्राप्त कर लिया जाता है।
  2. इस प्रकार प्राप्त प्रार्थना पत्रों की सूची जिला ग्रामोद्योग अधिकारी द्वारा एक रजिस्टर में अंकित करने के बाद चयन हेतु गठित समिति के सभी सदस्यों को उपलब्ध करायी जाती है। चयन समिति की बैठक में चयनित उद्यमियों को ऋण प्रार्थना पत्र उद्यमियों द्वारा प्रस्तावित बैंक शाखा में पत्र द्वारा प्रेषित किये जाते है।
  3. उद्यमियों के चयन मापदण्ड हेतु योजना के प्रस्तर 4, 5 व 6 में निहित निर्देशों का पालन किया जाना आवश्यक है।
  4. सम्बन्धित बैंक के शाखा प्रबन्धक, जिला ग्रामोद्योग अधिकारी द्वारा प्रेषित प्रार्थना-पत्रों को शाखा के रजिस्टर में मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना शीर्षक के अन्तर्गत करते है और ऋण स्वीकृति सम्बन्धी अन्य आवश्यक कार्यवाही/औपचारिकताएं भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित समय-सारिणी के अनुसार (अधिकतम 06 सप्ताह के अन्दर) प्रार्थना-पत्रों का निस्तारण सुनिश्चित करते है।
  5. ऋण स्वीकृत की सूचना बैंक शाखा द्वारा सम्बन्धी जिला ग्रामोद्योग अधिकारी व उद्यमियों को बैंक द्वारा दी जाती है।
  6. यदि किसी प्रार्थना-पत्र को शाखा द्वारा अनुपयुक्त पाया जाता है तो उसकी विस्तृत जानकारी सहित सूचना अपने बैंक के नियंत्रण अधिकारी को शाखा द्वारा दी जाती है।
  7. शाखा से प्राप्त इस प्रकार के प्रार्थना-पत्रों का परीक्षण बैंक के नियंत्रण अधिकारी द्वारा करने के पश्चात् यदि प्रार्थना-पत्र निरस्त किया जाता है तो समुचित कारणों के साथ जिला ग्रामोद्योग अधिकारी को प्रार्थना-पत्र नियंत्रण अधिकारी/ शाखा प्रबंधक द्वारा प्रेषित किया जाता है। किसी प्रार्थना-पत्र के निरस्त करने का अधिकार बैंक से सम्बन्धित शाखा के नियंत्रक अधिकारी में निहित है। बैंक की शाखाएं प्रत्येक प्रार्थना पत्र के सम्बन्ध में निरस्त/स्वीकृति का रिकार्ड रजिस्टर में रखते है।
  8. स्वीकृत प्रार्थना-पत्रों की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद बैंक द्वारा ऋण वितरित किया जाता है तथा प्रोजेक्ट पूरा होने/पूर्ण ऋण वितरित होने के बाद बैंक शाखा द्वारा इसकी सूचना जिला ग्रामोद्योग अधिकारी को दी जाती है।
  9. बैंक शाखा प्रबंधक उक्त खाते से सम्बन्धित भुगतान का चेक/ड्राफ्ट सम्बन्धित उद्यमी के ऋण खाते में समायोजित कर देंगे। यह प्रक्रिया प्रत्येक 06 मास ब्याज लगाने के उपरान्त की जायेगी।
  10. किसी भी उद्यमी को इस योजना के अन्तर्गत ऋण स्वीकृत होने के पश्चात् ब्याज उपादान का लाभ निम्न परिस्थितियों में देय नहीं होता है
    1. यदि उद्यमी ने ऋण का दुरूपयोग किया हो।
    2. यदि उद्यमी ने प्रोजेक्ट का कार्य पूरा नहीं किया और जानबूझकर चूक कर रहा हो।
    3. यदि खाता बैंक द्वारा डिफाल्ट घोषित किया गया हो।
    4. यदि इकाई उत्पादन/सेवा कार्य नहीं कर रही हो, अथवा बन्द हो।
    5. नोटः- किसी भी दैवी आपदा के कारण या असामयिक दुर्घटना के कारण यदि उद्यमी का उद्योग प्रभावित होता है तो इसका परीक्षण बैंक शाखा प्रबन्धक व जिला ग्रामोद्योग अधिकारी द्वारा संयुक्त रूप से किया जायेगा और उनकी संस्तुतियों के आधार पर उद्यमी को ब्याज उपादान देने के सम्बन्ध में निर्णय बोर्ड मुख्यालय द्वारा किया जायेगा।

14. अतिरिक्त कार्यशाला पूंजी उपलब्ध कराना

यदि इकाई द्वारा कोई बड़ा आपूर्ति आदेश/निर्यात का आदेश प्राप्त होता है जिसके लिये अतिरिक्त कार्यशील पूंजी की आवश्यकता है तो ऋण दाता बैंक को अतिरिक्त कार्यशील पूंजी/सी0सी0लिमिट बढ़ाने पर विचार करना होगा।

15. जागरूकता प्रशिक्षण शिविर

मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना के अन्तर्गत लाभार्थियों को आकर्षित करने तथा ग्रामीण क्षेत्र के जन-मानस को योजना की जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जागरूकता प्रशिक्षण शिविरों के ब्लाक स्तर पर आयोजन हेतु ब्याज उपादान हेतु शासन से स्वीकृत धनराशि का 01 प्रतिशत धनराशि का प्राविधान है।

16. योजना का प्रचार-प्रसार

योजना के प्रचार-प्रसार, सार्वजनिक स्थानों पर होर्डिंग, योजना की जानकारी हेतु पम्पलेट/हेण्डबिल्स के मुद्रण, प्रिंटिंग तथा रेडियो व टी0वी0 के माध्यम से प्रचार-प्रसार हेतु कुल ब्याज उपादान की 01 प्रतिशत धनराशि का प्राविधान है।

17. ईकाईयों का पुर्नजीवीकरण

पूर्व में वित्तपोषित इकाईयॉं यदि किसी दैविक आपदा/असामयिक दुर्घटना के कारण अथवा अपरिहार्य कारण से रुग्ण अथवा मृत हो जाती है तो जिला स्तर पर गठित समिति द्वारा कारणों का आकलन कर इकाई के पुर्नजीवीकरण पर विचार कर पुनः वित्त पोषित किये जाने का निर्णय लिया जायेगा जिसमें नियमानुसार ब्याज उपादान देय होगा।

18. योजना का मूल्यांकन एवं अनुश्रवण

योजना के सफल संचालन हेतु इकाईयों के भौतिक सत्यापन, मुल्यांकन एवं योजना के संचालन में आ रही कठिनाईयों के आकलन हेतु जिला ग्रामोद्योग अधिकारी द्वारा शत-प्रतिशत, परिक्षेत्रीय ग्रामोद्योग अधिकारी द्वारा 20 प्रतिशत तथा मुख्यालय स्तर के अधिकारियों द्वारा 5 प्रतिशत किया जायेगा। इसके अतिरिक्त नियोजन विभाग के राज्य मूल्यांकन एवं अनुश्रवण प्रभाग द्वारा भी समय-समय पर योजना का रैण्डम मूल्यांकन कराया जायेगा, जिसके लिये ब्याज उपादान के कुल बजट का 01 प्रतिशत बजट प्राविधान योजना के मूल्यांकन एवं अनुश्रवण हेतु निहित होगा।

19. वसूली

यदि इकाई जानबूझकर ऋण धनराशि का दुरुपयोग करती है अथवा इकाई का परियोजनानुसार स्थापना एवं संचालन नही होता है तो ऐसी दशा में बैंकों द्वारा ऋण वसूली इकाई से पूर्ण की जायेगी एवं विभाग द्वारा दी गयी सरकारी अनुदान (ब्याज उपादान) की धनराशि भी बैंकों द्वारा वसूल की जायेगी। वसूला गया सरकारी अनुदान (ब्याज उपादान) की धनराशि बोर्ड मुख्यालय पर खाता खोलकर रखा जायेगा तथा पुनः आवश्यकतानुसार उपयोग में लायी जायेगी।

बैंक द्वारा वसूली गयी धनराशि का 10 प्रतिशत अथवा ब्याज उपादान के रूप में दी गयी धनराशि जो भी कम हो वह बैंक द्वारा वसूल कर उ0प्र0 खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड को दी जायेगी।

 

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