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दक्षिण एशिया में इस्‍लाम का उदय (The Rise of Islam in South-Asia)

 


दक्षिण एशिया में इस्‍लाम का उदय

पैगम्‍बर मुहम्‍मद की मृत्‍यु के बाद प्रथम शताब्‍दी में दक्षिण एशिया के अंदर इस्‍लाम का आरंभिक प्रवेश हुआ। उमायद खलीफा ने डमस्‍कस में बलूचिस्‍तान और सिंध पर 711 में मुहम्‍मद बिन कासिन के नेतृत्‍व में चढ़ाई की। उन्‍होंने सिंध और मुलतान पर कब्‍जा कर लिया। उनकी मौत के 300 साल बाद सुल्‍तान मेहमूद गजनी, जो एक खूंख्‍वार नेता थे, ने राजपूत राजशाहियों के विरुद्ध तथा धनवान हिन्‍दू मंदिरों पर छापामारी की एक श्रृंखला आरंभ की तथा भावी चढ़ाइयों के लिए पंजाब में अपना एक आधार स्‍थापित किया। वर्ष 1024 में सुल्‍तान ने अरब सागर के साथ काठियावाड़ के दक्षिणी तट पर अपना अंतिम प्रसिद्ध खोज का दौर शुरु किया, जहां उसने सोमनाथ शहर पर हमला किया और साथ ही अनेक प्रतिष्ठित हिंदू मंदिरों पर आक्रमण किया।


The Rise of Islam in South-Asia

The initial entry of Islam into South Asia came in the first century after the death of the Prophet Muhammad. The Umayyad caliph in Damascus sent an expedition to Baluchistan and Sindh in 711 led by Muhammad bin Qasim. He captured Sindh and Multan. Three hundred years after his death Sultan Mahmud of Ghazni, the ferocious leader, led a series of raids against Rajput kingdoms and rich Hindu temples, and established a base in Punjab for future incursions. In 1024, the Sultan set out on his last famous expedition to the southern coast of Kathiawar along the Arabian Sea, where he sacked the city of Somnath and its renowned Hindu temple.


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